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हिम्मत न हारना

Guest Writer - inext
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Not a single option

 

पॉलिटिक्स नैचुरल च्वॉइस थी या नहीं, अब इस पर बहस की गुंजाइश नहीं है. यह जरुर है कि वो अकेला ऑप्शन नहीं था. लॉ करने के बाद हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करते-करते यहां तक पहुंच गई. ये बात अलग है कि पॉलिटिक्स फैमिली से आने के चलते राजनीति हमेशा आकर्षित करती आई है. आखिरकार खुद भी यहीं पहुच गई. किसी के लिए भी, जो बचपन से उस माहौल के करीब रहा हो, उसका पॉलिटिकस के प्रति रुझान हो जाना स्वाभाविक है. लीगल बैकग्रांउड होने की बात तो  अपनी जगह हैं.

 

New ideas sir ji

 

लोकसभा इलेक्शंस में कई सारे यंग फेसेज इलेक्ट होकर आए हैं. ऐसे में उनके बीच करना बेहद उत्साहजनक हैं. यंग लीडर्स के आने से पॉलिटिक्स में भी बदलाव आया है. यंग लीडर्स के आने पॉलिटिक्स में भी बदलाव आया है. ढेर सारे नए आइडियज निकलकर सामने आ रहे हैं. हालांकि उन्हें हकीकत में बदलने के लिए बहुत सारा काम किया जाना बाकी है.

 

सभी युवा सांसद बेहद प्रतिभाशाली हैं और इसका अदांज उनके कामकाज के तरीके से लगाया जा सकता है. हम सभी मिलकर बहुत कुछ बदल डालना चाहते हैं. हमारे आसपास ढेर सारी मुश्किलें और हमें उनका सॉल्यूशन निकालना है. लोगों के सामने कई तरह की परेशानियां जिनका हल जल्दी खोजा जाना जरुरी है. पॉलिटिक्स यंग लीडर्स के लिए अपने आप को प्रूव करने के प्लेटफार्म की तरह है. जहां वे बहुत कुछ पॉजिटिव कर सकते है जिसका किसी और फील्ड में मौका शायद ही मिल पाता है.

 

चेंज अपने आप में लॉंग टर्म प्रॉसेस है. आप एक दिन में सब कुछ चेंज नहीं कर सकते. सबसे मुश्किल काम है उसके लिए प्रॉसेस. हम सभी मिलकर इस प्रॉसेस को आगे ले जा रहे हैं.

 

Change the world

 

जब आप लोगों से जुडते हैं तो उनकी मुश्किलें, उम्मीदें हर किसी से आपका सामना होता है. पॉलिटिक्स फील्ड ही ऐसी है. जहां लोगों से जुडाव बहुत मायने रखता है. अभी तक के पॉलिटिकल करियर में पब्लिक से जुडें कई सारे इश्यूज उठाए हैं.

 

बहरहाल अगर कोई इश्यू दिल के सबसे करीब है तो वो एनवायरमेंट है. ऐसा शायद नार्थ ईस्ट से आने की वजह से है. जहां भरपूर नैचुरल च्वाइस कह सकते हैं. एनवायरमेंट सिर्फ एक इश्यू भर नहीं है. उसका ठीक रहना हम सबके लिए जरुरी है, कई बार नार्थ ईस्ट और मेन लैंड के बीच दूरी की बातें होती हैं. वहां के लोग मेन स्ट्रीम के साथ इंटीग्रेट करना चाहते हैं.

 

वहां के लोग मेन स्ट्रीम के साथ इंटीग्रेट करना चाहते हैं. दूरियां दिलों में नहीं दिमाग में हो सकती हैं. हमारी कोशिश है कि लोगों के बीच आपसी सवांद बढे . वे एक दूसरे को बेहतर तरीके से जान-समझ सकें. ऐसा किए बिना आप सामने वालों की अच्छाइयों और बुराइयों को नहीं समझ सकते इतना ही नहीं यहां से नार्थ-ईस्ट जाने वाले और वहां से आने वाले सिक्योर फील करें इसकी भी कोशिश जारी हैं. कोशिशें कामयाब होती हैं.

Published in INEXT, Dec 2009 – Foundation Week.

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